रविवार, 24 मार्च 2013

अवतार सिंह पाश की प्रसिद्ध कविता


23मार्च 1931 को पंजाब के क्रांतिकारी वीर भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शहीत हो गए थे। यह एक संयोग है कि 57 साल बाद ठीक उसी दिन अर्थात 23 मार्च 1988 को पंजाब के ही एक अन्य क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह संधु पाश आतंकवाद से मुक्ति के संग्राम में आतंकवादियों के हाथों शहीद हो गए। प्रस्तुत है उनकी एक प्रसिद्ध कविता।

सबसे खतरनाक होता है, हमारे सपनों का मर जाना
 
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होती,
पुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होती,
गद्दारी, लोभ का मिलना सबसे
खतरनाक नहीं होता,
सोते हुये से पकडा जाना बुरा तो है,
सहमी सी चुप्पी में जकड जाना
बुरा तो है,
पर सबसे खतरनाक नहीं होता,
सबसे खतरनाक होता है 
मुर्दाशान्ति से भर जाना,
न होना तडप का सब कुछ सहन कर जाना,
घर से निकलना काम पर और काम से
लौट कर घर आना,
सबसे खतरनाक होता है, हमारे
सपनों का मर जाना ।
सबसे खतरनाक होती है, कलाई पर
चलती घडी, जो वर्षों से स्थिर है।
सबसे खतरनाक होती है वो आंखें
जो सब कुछ देख कर भी पथराई सी है,
वो आंखें जो संसार को प्यार से
निहारना भूल गयी है,
वो आंखें जो भौतिक संसार के
कोहरे के धुंध में खो गयी हो,
जो भूल गयी हो दिखने वाली
वस्तुओं के सामान्य अर्थ 
और खो गयी हो व्यर्थ के खेल की वापसी में ।

सबसे खतरनाक होता है वो चांद, जो
प्रत्येक हत्या के बाद उगता है
सूने हुए आंगन में,
जो चुभता भी नहीं आंखों में,
गर्म मिर्च के सामान
सबसे खतरनाक होता है वो गीत जो
मातमी विलाप के साथ कानों में पडता है,
और दुहराता है बुरे आदमी की दस्तक, 
डरे हुए लोगों के दरवाजे पर ।

मंगलवार, 19 मार्च 2013

20 मार्च विश्व गौरैया दिवस को समर्पित गीत

 कहाँ गई तू गौरैया
-भूपेंद्र कुमार

1   नन्ही चिडियों की मैया
     कहाँ गई तू गौरैया

जब मैं छोटा बच्चा था
अकल का कुछ-कुछ कच्चा था
तुझे रोटी देने आता था
साथ में मैं भी खाता था
            रह गईं अब यादें भैया
            कहाँ गई तू गौरैया---

2.    छोटे टुकड़े चुग लाती थी
फिर नन्हों को दे आती थी
उड़ना उनको सिखलाती थी
छोड़ के घर फिर उड़ जाती थी
सब की प्यारी सोन चिरैया
कहाँ गई तू गौरैया----------

3.    सुबह-सुबह चिर-चिर करती
साँझ को चीं-चीं फिर करती
चिर-पिर सुन आँखें मलते
चीं-चीं सुन पूजा करते
तेरी चिर-पिर ज्यों पुरवैया
कहाँ गई ----------------

4.    चुगती इधर-उधर का दाना
बोती फिर जंगल अनजाना
कीड़े फसल के चट कर जाती
पेस्टिसाइड से मुक्ति दिलाती
            यों पार लगाती तू नैया
            कहाँ गई तू गौरैया------

5.    खेतों के रसायन ज़हर बने
मोबाइल टावर कहर बने
पशु-पक्षियों के रखवालो
पर्यावरण बचाने वालॉ
            आबाद करो फिर अमरैया
            कहाँ गई तू गौरैया---------

6.    गायों की हत्या से व्यथित
आंन्दोलन होते हैं नित
तेरी भी संख्या घटती
तू भी दिन-प्रतिदिन मरती
            पर नहीं है तू कोई गैया
            कहाँ गई तू् गौरैया-------

7.    राज्य पक्षी तो हो गई घोषित
पर कैसे होगी परिपोषित
नहीं है इस पर कोई चिंतन
मन लेकिन करता है क्रंदन
            देख के सूनी ताल-तलैया
            कहाँ गई तू गौरैया-------